मंज़िल तू ...
- Nadeem Shaheer

- Mar 11, 2019
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Updated: Mar 26, 2023

पास रहेके भी इतना दूरी क्यू है
इस बारिश में भी तू इतना दूर क्यू है
दुआ जो मांगी वो भुलाया क्या उसने
दिल में जो बात है वो, कहना कड़वी क्यू है
हालत में भी ये खेल जो खेला
क्या हम खिलाडी है की मनोरंजक
बोलके भी , सुन के भी तू साथ नहीं
मन में है , तन में हे, पर दूरी क्यू है
सास अटकतीहै , दिल धड़कती है
मन भटकती है फिर भी आरज़ू सिर्फ तुम हो.
पानी तो खूब हे, बहती है , नाचती है
बिना मंज़िल के चलना उसको भी अच्छा लगता है
पर कहिपे वो भी अटकती है
जान भी तू , जन्म भी
खुदगर्ज़ भी, चाहत भी
रास्ता तो पर अभी अधूरा है
पर जिस रास्ते में मिला था तुझे , भूल गया में
अभी मंज़िल तू है ,मंज़िल तू है



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