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मंज़िल तू ...

Updated: Mar 26, 2023



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बारिश में भी एक बात है ... जब सुनना शुरू करोगे तो खुद बोलोगे, क्या बात है ....

पास रहेके भी इतना दूरी क्यू है

इस बारिश में भी तू इतना दूर क्यू है


दुआ जो मांगी वो भुलाया क्या उसने

दिल में जो बात है वो, कहना कड़वी क्यू है


हालत में भी ये खेल जो खेला

क्या हम खिलाडी है की मनोरंजक


बोलके भी , सुन के भी तू साथ नहीं

मन में है , तन में हे, पर दूरी क्यू है


सास अटकतीहै , दिल धड़कती है

मन भटकती है फिर भी आरज़ू सिर्फ तुम हो.


पानी तो खूब हे, बहती है , नाचती है

बिना मंज़िल के चलना उसको भी अच्छा लगता है

पर कहिपे वो भी अटकती है


जान भी तू , जन्म भी

खुदगर्ज़ भी, चाहत भी


रास्ता तो पर अभी अधूरा है

पर जिस रास्ते में मिला था तुझे , भूल गया में

अभी मंज़िल तू है ,मंज़िल तू है

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